देश के आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से बच्चों को मानसिक एवं शारीरिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए महत्वपूर्ण पोषण आहार योजना सरकार संचालित कर रही है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य बच्चों को कुपोषण से बचाना और उन्हें दूध, अंडे समेत विभिन्न पौष्टिक आहार उपलब्ध कराना है। हालांकि, हाल ही में रायपुर क्षेत्र के एक आंगनबाड़ी केंद्र से जुड़ा एक वीडियो इंटरनेट पर तेजी से वायरल हुआ है, जिसने इस योजना की गुणवत्ता और विभागीय निगरानी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सड़े अंडे के वायरल वीडियो से हड़कंप
दरअसल, इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हो रहे इस वीडियो में कथित तौर पर रायपुर क्षेत्र के एक आंगनबाड़ी केंद्र में सड़े हुए और बदबूदार अंडे दिखाए गए हैं। बताया जा रहा है कि जब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अंडे लेने पहुंचीं, तो पेटी में रखे सभी अंडे खराब पाए गए, जिसके बाद कार्यकर्ताओं ने अंडे लेने से इनकार कर दिया। इस घटना का वीडियो वायरल होने से महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग में खलबली मच गई है। इस वीडियो ने साफ कर दिया है कि जमीनी स्तर पर पोषण आहार की गुणवत्ता की जांच में घोर लापरवाही बरती जा रही है।
विभागीय जिम्मेदारी और लापरवाही की पोल
प्रदेश में संचालित सभी आंगनबाड़ी केंद्र महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास के अंतर्गत आते हैं। इन केंद्रों में सभी गतिविधियों का संचालन जिला कार्यक्रम अधिकारी (DPO) के स्तर से किया जाता है। पोषण आहार की गुणवत्ता की जाँच और सुनिश्चित करना सीधे तौर पर डीपीओ की जिम्मेदारी होती है। लेकिन सड़े अंडे का वीडियो यह दर्शाता है कि अधिकारी अपनी इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को कितनी गंभीरता से ले रहे हैं। निदेशालय ने इस वीडियो का संज्ञान लेते हुए, जिला कार्यक्रम अधिकारी को जांच के आदेश दिए हैं। निदेशक बंशी लाल राणा ने स्पष्ट किया है कि पोषण आहार में किसी भी तरह की कमी पाए जाने पर उसे तत्काल वापस करने के निर्देश दिए गए हैं।
सप्लाई करने वाली कंपनी पर पर्दा
पोषण आहार की सप्लाई के लिए विभाग द्वारा टेंडर जारी किए जाते हैं और कंपनियों के साथ अनुबंध किया जाता है। हैरानी की बात यह है कि विभाग के अधिकारी पोषण आहार की सप्लाई करने वाली कंपनी का नाम बताने को तैयार नहीं हैं। अधिकारियों की यह कार्यशैली सीधे तौर पर संदेह के घेरे में आती है। अनुबंध के समय पोषण आहार की सप्लाई को लेकर कठिन शर्तें लागू की जाती हैं और अनियमितता पाए जाने पर अनुबंध समाप्त करने का प्रावधान होता है, लेकिन कंपनी का नाम छिपाना अधिकारियों और सप्लायर के बीच मिलीभगत का संकेत देता है।
पूर्व में भी सामने आ चुकी है लापरवाही
यह कोई पहली घटना नहीं है जब आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषण आहार की गुणवत्ता पर सवाल उठे हों। इससे पहले दीपनगर क्षेत्र के एक आंगनबाड़ी केंद्र में एक्सपायरी दूध का मामला भी सामने आया था। उस समय भी अधिकारियों पर मिलीभगत कर कंपनी को बचाने और जांच को दबाने का आरोप लगा था। सड़े अंडे के इस नए वीडियो ने एक बार फिर विभागीय घोर लापरवाही और निगरानी तंत्र की विफलता पर से पर्दा उठा दिया है, जिससे बच्चों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ हो रहा है।
यह घटना इस बात को रेखांकित करती है कि बच्चों को कुपोषण से बचाने की महत्वपूर्ण योजना को सफल बनाने के लिए वितरण प्रणाली में पारदर्शिता और जिम्मेदार अधिकारियों की सक्रिय निगरानी कितनी ज़रूरी है। क्या आपको लगता है कि इस तरह की अनियमितताओं पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए?