Chhath Puja Geet Lyrics: छठ पूजा के Best पारंपरिक गीत पढ़िये यहां…”कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाये…”

Chhath Puja Geet Lyrics: कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी तक मनाया जाने वाला यह चार दिवसीय महापर्व, लोकआस्था और कठोर तपस्या का प्रतीक है। सूर्य देव (भास्कर) और उनकी बहन षष्ठी देवी (छठी मैया) को समर्पित यह व्रत संतान की सुख-समृद्धि और आरोग्य के लिए किया जाता है।

चार दिन की कठिन साधना: आस्था की दिव्य यात्रा और Chhath Puja Geet

छठ पूजा का हर दिन अपने आप में विशेष है, जो व्रती को परम शुद्धता की ओर ले जाता है।

दिवसतिथि (2025)प्रमुख विधानमहत्व और भाव
पहला दिन25 अक्टूबर, शनिवारनहाय-खायपवित्रता का आरंभ: व्रती नदियों या पवित्र जल में स्नान कर, केवल शुद्ध और सात्विक भोजन (भात, कद्दू की सब्जी, सरसों का साग) ग्रहण करते हैं। यह व्रत की शारीरिक और मानसिक शुद्धता की पहली सीढ़ी है।
दूसरा दिन26 अक्टूबर, रविवारखरनाव्रत का आधार: इस दिन व्रती दिन भर निर्जला उपवास रखते हैं। शाम को गुड़ की खीर (रसिया), रोटी और फल का प्रसाद बनाकर छठ मइया को भोग लगाते हैं। इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है।
तीसरा दिन27 अक्टूबर, सोमवारसंध्या अर्घ्यमुख्य उपासना: यह छठ का सबसे महत्वपूर्ण दिन है। व्रती और पूरा परिवार घाट पर पहुँचकर बाँस के सूप और दउरा में प्रसाद सजाकर अस्त होते सूर्य (सांझ के अरघ) को दूध और जल से अर्घ्य देते हैं। यह सूर्य की अंतिम किरणों को नमन करने का भाव है।
चौथा दिन28 अक्टूबर, मंगलवारप्रातःकालीन अर्घ्यव्रत का समापन: सप्तमी तिथि को उगते हुए सूर्य (भोर के अरघ) को अर्घ्य दिया जाता है। इस क्षण को सूर्य की नई ऊर्जा और जीवन शक्ति के रूप में पूजा जाता है। इसके बाद व्रती प्रसाद ग्रहण कर व्रत का पारण करते हैं और छठ महापर्व का समापन होता है।
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छठ पूजा का विशेष आकर्षण

  • अद्वितीय शुद्धता: प्रसाद बनाने में लहसुन, प्याज या किसी भी अपवित्र वस्तु का उपयोग वर्जित होता है।
  • प्रकृति से जुड़ाव: पूजा में बाँस के सूप, मिट्टी के चूल्हे और मौसमी फलों का उपयोग प्रकृति के प्रति सम्मान दर्शाता है।
  • लोकगीतों की गूँज: घाटों और घरों में “कांच ही बांस के बहंगिया,” और “उग हो सुरुज देव” जैसे पारंपरिक छठ गीतों की गूँज एक भक्तिमय और भावनात्मक वातावरण बनाती है।

छठ महापर्व न केवल एक अनुष्ठान है, बल्कि भारतीय संस्कृति का एक जीवंत प्रमाण है जो हमें प्रकृति की शक्तियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना सिखाता है।

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छठ पूजा के पारंपरिक गीत (Chhath Puja Geet)

“कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाये…”

कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाये
बहंगी लचकत जाये, हमार सुगवा धनुष भइलन
सुगवा धनुष भइलन, अस मनवा काहे डोले
कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाये।


“उग हो सूरज देव, भइल अर्घ के बेर…” Chhath Puja Geet

उग हो सूरज देव, भइल अर्घ के बेर
बहंगी के पिटारा, सजल डोलिया
उग हो सूरज देव, भइल अर्घ के बेर।


“केलवा के पात पर उगेलन सूरज देव…”

केलवा के पात पर उगेलन सूरज देव
मोरा मनवा में आनंद भईल
उगेलन सूरज देव।


“पटना के घाट पर, भोर के बेला…”

पटना के घाट पर, भोर के बेला
उग हो सूरज देव, छठी मैया की महिमा।

“हे छठी मैया, हम बानी तोहार पुजारी…”

हे छठी मैया, हम बानी तोहार पुजारी
अर्घ के दिनवा हम तोहके देहब
हे छठी मैया, हम बानी तोहार पुजारी।

छठ पूजा के आधुनिक गीत (Chhath Puja Geet)


“पार करो हे गंगा मइया…”

पार करो हे गंगा मइया, हमके पार करो
उगेला सुरज देव, हे माई, हमके तार दियो।

“छठी मईया आओ, अर्घ ले लो…”(Chhath Puja Geet)

छठी मईया आओ, अर्घ ले लो
हमार विनती सुन लो, हे मैया, जीवन धन्य करो।

“सूरज देव जी हे, आशीष दीजिये…”(Chhath Puja Geet)

सूरज देव जी हे, आशीष दीजिये
भक्त जनों का जीवन सुखमय कर दीजिये

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Alka Tiwari

अलका तिवारी पिछले तकरीबन बीस वर्षों से पत्रकारिता से जुड़ी हैं। इलेक्ट्रानिक मीडिया के साथ ही अलका तिवारी प्रिंट मीडिया में भी लंबा अनुभव रखती हैं। बदलते दौर में अलका अब डिजिटल मीडिया के साथ हैं और खबरदेवभूमि.कॉम में प्रमुख भूमिका निभाती हैं।

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