CM Dhami के RSS के योगदान का औपचारिक अभिनंदन के बाद उत्तराखण्ड विधानसभा देश की पहली संवैधानिक संस्था बन गई है, जिसने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के देश निर्माण में दिए गए योगदान का औपचारिक अभिनंदन किया है। यह ऐतिहासिक निर्णय राज्य स्थापना की रजत जयंती (25 वर्ष) के अवसर पर आयोजित विशेष सत्र के दौरान लिया गया।
उत्तराखण्ड विधानसभा का ऐतिहासिक कदम: RSS के योगदान का औपचारिक अभिनंदन
देहरादून में 4 नवम्बर 2025 को हुए इस विशेष सत्र में, CM Dhami ने अपने वक्तव्य में संघ की शताब्दी वर्ष की यात्रा की सराहना की।
- सांस्कृतिक पुनरुत्थान: CM Dhami ने कहा कि RSS ने अपनी सौ वर्षों की "तपोमय यात्रा" के माध्यम से भारत में सांस्कृतिक पुनरुत्थान, सामाजिक समरसता, और आत्मगौरव की दिव्य धारा प्रवाहित की है।
- राष्ट्र चेतना: उनके अनुसार, संघ ने देश के कोने-कोने में राष्ट्रीय चेतना की अखंड ज्योति प्रज्वलित की है।
- गुलामी की मानसिकता से मुक्ति: धामी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत आज अपने सांस्कृतिक मूल्यों, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और परंपराओं पर गर्व करता है, जो संघ की शताब्दी तपस्या का ही परिणाम है।
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देवभूमि ने दी राष्ट्रसेवा को आधिकारिक मान्यता-CM Dhami
उत्तराखण्ड विधानसभा द्वारा संघ के योगदान को आधिकारिक रूप से मान्यता देने वाला यह क्षण न केवल राज्य के लिए बल्कि सम्पूर्ण भारत के लिए महत्वपूर्ण है। यह सदन में राष्ट्रनिर्माण, सामाजिक जागरण और सांस्कृतिक पुनर्जागरण में संघ की भूमिका की पहली औपचारिक स्वीकृति है।
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विकल्प रहित संकल्प के साथ प्रगति का पथ
राज्य की प्रगति पर बोलते हुए CM Dhami ने कहा कि: "देवभूमि उत्तराखण्ड ने अपने 25 वर्षों के विकास सफर में अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं, किंतु राज्य ने सदैव विकल्प रहित संकल्प के साथ प्रगति की राह पर कदम बढ़ाया है।" CM Dhami ने जनता के सहयोग से उत्तराखण्ड को देश का श्रेष्ठ राज्य बनाने के लक्ष्य को पूरा करने का विश्वास व्यक्त किया।
प्रेरक पंक्तियों के साथ समापन
सत्र का समापन CM Dhami ने RSS की शाखाओं में गाए जाने वाले एक प्रेरक गीत की पंक्तियों के साथ किया, जिसने पूरे सदन में एकता और राष्ट्रभक्ति की भावना का संचार किया: "ये उथल-पुथल उछाल लहर, पथ से न डिगाने पाएगी, पतवार चलाते जाएंगे, मंज़िल आएगी, आएगी…" यह भावनात्मक अभिव्यक्ति संघ की राष्ट्रसेवा की शताब्दी यात्रा को सम्मानित करने वाला एक अविस्मरणीय क्षण बन गई।



