हरीश रावत की शिकायत पर देहरादून पुलिस ने AI वीडियो के जरिए उनकी छवि खराब करने का मुकदमा दर्ज कर लिया है। देहरादून के नेहरु कॉलोनी थाने के बाहर हरीश रावत को लगभग चार घंटे तक धरना देना पड़ा तब कहीं जाकर पुलिस ने उनका मुकदमा दर्ज किया।
हरीश रावत ने बीजेपी के खिलाफ दी शिकायत
दरअसल हाल ही में उत्तराखंड बीजेपी (Uttarakhand BJP) ने अपने ऑफिशियल फेसबुक हैंडल से एक वीडियो शेयर किया था जिसमें एआई के जरिए हरीश रावत को दिखाया गया था। इस वीडियो में हरीश रावत को मुस्लिमों के साथ जोड़ा गया था। इसके साथ ही एक अन्य वीडियो भी एक अन्य फेसबुक अकाउंट से शेयर किया गया जिसमें उन्हे पाकिस्तान में जासूसी करते दिखाया गया है। इन वीडियोज के सामने आने के बाद हरीश रावत ने कड़ी नाराजगी जताई थी। इन्ही वीडियोज के खिलाफ हरीश रावत शिकायत लेकर पुलिस स्टेशन पहुंचे थे।
चार घंटे देना पड़ा धरना, तब दर्ज हुई FIR
हरीश रावत को अपनी एआईआर दर्ज कराने के लिए थाने के बाहर ही चार घंटे तक धरना देना पड़ा, तब कहीं जाकर पुलिस ने उनकी शिकायत पर एफआईआर दर्ज की। दरअसल पहले पुलिस अधिकारी हरीश रावत की शिकायत पत्र को लेकर उन्हे टालते रहे। उन्हे जांच करने और बाद में एफआईआर दर्ज करने की बात कहते रहे। हालांकि हरीश रावत और उनके समर्थकों ने थाने के सामने से तब तक हटने से इंकार कर दिया जबतक एफआईआर दर्ज न हो जाए। पुलिस वालों ने लगभग चार घंटे तक पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को थाने के बाहर इंतजार करा दिया। इसके बाद कहीं जाकर हरीश रावत की शिकायत पर मुकदमा दर्ज हुआ। हरीश रावत ने नामजद शिकायत की थी लेकिन पुलिस ने अज्ञात में मुकदमा दर्ज किया।
साइबर क्राइम में भी की शिकायत, SP से भी मिले
मुकदमा दर्ज होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने साइबर क्राइम में भी मुलाकात की। वही हरीश रावत ने इसके साथ ही एसएसपी ऑफिस में एसपी सिटी से भी मुलाकात की और अपनी बात रखी। हरीश रावत ने पुलिस से इस मामले में जल्द जल्द कार्रवाई की मांग की है।
दो दिन में पुलिस की पोल खुली, हरदा ने भी उठाए सवाल
देहरादून पुलिस की कार्यप्रणाली दो दिनों में सवालों के घेरे में आ गई। दरअसल दो दिन पहले ही सीएम पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून के डालनवाला थाने का दौरा किया था और पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि आम नागरिकों की शिकायतों पर तत्काल कार्रवाई हो। सीएम के इस निर्देश के महज दो दिनों बाद ही एक पूर्व मुख्यमंत्री को अपनी शिकायत पर मुकदमा दर्ज कराने के लिए थाने के सामने ही धरना देना पड़ गया।



