देहरादून: उत्तराखंड कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (अ.प्रा.) गुरमीत सिंह से मुलाकात की और राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। कांग्रेस ने मसूरी स्थित जॉर्ज एवरेस्ट और हरिद्वार के वैरागी कैंप की भूमि में अनियमितताओं को लेकर तत्काल कार्रवाई की मांग की। इसके साथ ही, हाल की आपदा से निपटने में सरकार की विफलता पर भी सवाल उठाए। इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने किया।
30 हजार करोड़ की ज़मीन 1 करोड़ रुपये के सालाना किराए पर देने का आरोप
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि मसूरी में स्थित करीब 30 हजार करोड़ रुपये की 172 एकड़ भूमि को मात्र 1 करोड़ रुपये के सालाना किराए पर आचार्य बालकृष्ण की कंपनी को दे दिया गया है। कांग्रेस के अनुसार, इस सौदे में पारदर्शिता की कमी थी और टेंडर प्रक्रिया के अंतिम चरण में नियमों को बदलकर कंपनी को लाभ पहुंचाया गया। प्रतिनिधिमंडल ने मांग की है कि इस सौदे को तुरंत रद्द किया जाए और इसकी सीबीआई जांच किसी उच्च न्यायालय के सिटिंग जज की निगरानी में कराई जाए।
स्थानीय निवासियों और पर्यटकों की मुश्किलें
ज्ञापन में इस बात का भी उल्लेख किया गया कि इस भूमि के अधिग्रहण के बाद से स्थानीय निवासियों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। लगभग 200 साल पुराने रास्ते बंद कर दिए गए हैं, जिससे लोगों की आवाजाही पर असर पड़ा है। इसके अलावा, पर्यटकों से मनमानी वसूली और बिना अनुमति के हेलीकॉप्टर संचालन की भी शिकायतें सामने आई हैं। इन सभी अनियमितताओं से स्थानीय लोग और पर्यटक दोनों ही परेशान हैं।
वैरागी कैंप पर भी सवाल
कांग्रेस ने हरिद्वार के वैरागी कैंप की भूमि को लेकर भी चिंता जाहिर की है। प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को बताया कि इस भूमि को भी उसी कंपनी को देने की तैयारी चल रही है, जिसने जॉर्ज एवरेस्ट की जमीन ली है। कांग्रेस ने मांग की है कि वैरागी कैंप की टेंडर प्रक्रिया को तत्काल रोका जाए ताकि इस तरह की और अनियमितताओं को रोका जा सके।
आपदा प्रबंधन पर सरकार की विफलता
प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में आई आपदा से निपटने में राज्य सरकार की अक्षमता पर भी गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि देहरादून समेत कई प्रभावित क्षेत्रों में तीन दिनों तक बिजली और पानी की आपूर्ति बाधित रही। राहत और पुनर्वास कार्य भी ठप पड़े हैं, जिससे लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। कांग्रेस ने चिंता व्यक्त की कि पीने के साफ पानी की कमी और ठप पड़ी स्वास्थ्य सेवाओं के कारण जलजनित बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है, लेकिन सरकार की ओर से कोई ठोस तैयारी नहीं दिख रही है।