karva chauth ki kahani 2025 : यहां पढ़िए क्या है करवा चौथ की कहानी ? कब सुने ये कथा, पूजा मुहूर्त और विधि

करवा चौथ का पावन पर्व हर सुहागिन महिला के लिए सबसे महत्वपूर्ण और भावनात्मक दिन होता है। यह दिन न सिर्फ पति की लंबी उम्र और सलामती के लिए रखा जाता है, बल्कि यह दांपत्य जीवन में प्रेम, विश्वास और खुशहाली का प्रतीक भी है। इस दिन महिलाएँ निर्जला व्रत रखती हैं और चंद्र दर्शन के बाद ही अपना व्रत खोलती हैं।

आइए, जानते हैं करवा चौथ 2025 की सही पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, और सबसे ज़रूरी, वह पावन व्रत कथा जिसे सुने बिना यह व्रत अधूरा माना जाता है।

करवा चौथ कथा 2025: कथा पढ़ने का शुभ मुहूर्त

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, करवा चौथ की कथा और पूजा हमेशा शुभ मुहूर्त में ही की जानी चाहिए ताकि व्रत का पूरा फल प्राप्त हो सके।

विवरणसमय
करवा चौथ 2025 की तिथि10 अक्टूबर 2025 (शुक्रवार)
पूजा का शुभ मुहूर्त (Karwa Chauth Puja Time)शाम 05:57 PM से 07:11 PM तक (लगभग 1 घंटा 14 मिनट)
चंद्रोदय का समयचंद्र दर्शन का समय हर शहर में भिन्न हो सकता है।

याद रखें: इसी शुभ मुहूर्त में आपको करवा चौथ की कथा (karwa chauth ki kahani) पढ़नी चाहिए और माँ गौरी, भगवान शिव, गणेश जी और चंद्रमा की विधिवत पूजा करनी चाहिए।

करवा चौथ की कथा: कैसे मिला अखंड सौभाग्य?

हर सुहागिन महिला करवा चौथ की शाम पूजा के दौरान यह व्रत कथा (Kahani) ज़रूर सुनती-सुनाती हैं। यह कथा बताती है कि सच्ची श्रद्धा और नियम से किए गए व्रत का फल कितना शक्तिशाली होता है।

साहूकार की बेटी की कहानी

प्राचीनकाल में एक धर्मात्मा साहूकार था, जिसके सात लाडले पुत्र और एक अत्यंत प्रिय पुत्री थी। पुत्री का विवाह होने के बाद, जब कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि आई, तो उसने अपने पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का निर्जला व्रत रखा।

दिनभर व्रत रखने के बाद, सूर्यास्त होते ही उसे ज़ोरों की भूख लगने लगी। सात भाइयों की लाडली बहन का यह मुरझाया चेहरा उनके भाइयों से देखा नहीं गया। वे अपनी बहन से चंद्रोदय से पहले ही भोजन करने का आग्रह करने लगे, लेकिन वह अपने व्रत पर अटल रही और बोली कि जब तक चंद्रमा नहीं निकलेंगे, वह अन्न-जल ग्रहण नहीं करेगी।

भाइयों का छल और व्रत भंग

बहन की पीड़ा देखकर भाइयों ने एक षड्यंत्र (Chal) रचा। उन्होंने पीपल के वृक्ष के पीछे एक दीपक जलाया और दूर से अपनी बहन से कहा— “देखो! बहन, चंद्रमा निकल आया है। जल्दी उठो और अर्घ्य देकर अपना व्रत पूरा करो।”

भोली बहन भाइयों के इस छल को समझ नहीं पाई। उसने उस नकली चाँद को ही असली मानकर अर्घ्य दिया और अपना व्रत खोल लिया।

व्रत भंग होते ही उसका पति मृत्यु को प्राप्त हो गया! वह रोने-चिल्लाने लगी। उसी समय, देवलोक की देवी इन्द्राणी (इंद्र की पत्नी) अपनी देवदासियों के साथ वहाँ से गुज़र रही थीं। कन्या का विलाप सुनकर वह उसके पास आईं और उससे रोने का कारण पूछा।

इंद्रानी का समाधान

कन्या ने उन्हें सारी बात बताई कि कैसे उसने भाइयों के कहने पर समय से पहले ही भोजन कर लिया। तब इन्द्राणी ने कहा, “बेटी, तुमने चंद्रोदय से पहले ही अन्न-जल ग्रहण करके करवा चौथ के व्रत के नियम को तोड़ा है। इसी कारण तुम्हारे पति का यह हाल हुआ है।”

इन्द्राणी ने उसे समाधान बताते हुए कहा, “अब अगर तुम अपने मृत पति की सेवा करती हुई, अगले बारह महीनों तक हर चतुर्थी का व्रत विधि-विधान से रखोगी, और फिर करवा चौथ के दिन नियमपूर्वक भगवान शिव, माँ गौरी, गणेश जी और चंद्रमा की पूजा करके चंद्र उदय के बाद अर्घ्य देकर अन्न-जल ग्रहण करोगी, तो तुम्हारे पति अवश्य जीवित हो उठेंगे।”

व्रत का फल

साहूकार की पुत्री ने इन्द्राणी की बात पर विश्वास किया और ठीक वैसा ही किया। उसने पूरी श्रद्धा और निष्ठा से सभी चौथ और करवा चौथ का व्रत किया।

इस व्रत के प्रभाव से उसका मृत पति जीवित हो उठा!

Karwa Chauth Vrat Mahima

यह करवा चौथ की कहानी हमें सिखाती है कि यह व्रत केवल एक नियम नहीं, बल्कि सच्ची श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण का प्रतीक है। हर सुहागिन महिला को यह कथा सुननी चाहिए और व्रत के नियमों का पालन करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि जो भी महिला करवा चौथ का व्रत विधि-विधान से रखती है, उसे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है और उसका दांपत्य जीवन हमेशा सुखमय बना रहता है।

इस कथा को लिखने में हमने भरसक कोशिश की है कि कोई गलती न हो।

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Alka Tiwari

अलका तिवारी पिछले तकरीबन बीस वर्षों से पत्रकारिता से जुड़ी हैं। इलेक्ट्रानिक मीडिया के साथ ही अलका तिवारी प्रिंट मीडिया में भी लंबा अनुभव रखती हैं। बदलते दौर में अलका अब डिजिटल मीडिया के साथ हैं और खबरदेवभूमि.कॉम में प्रमुख भूमिका निभाती हैं।

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