SIR से ‘शुद्ध’ होगी वोटर लिस्ट! आज से शुरू हुई प्रक्रिया, 7 फरवरी 2026 तक का पूरा प्लान जानिए

नई दिल्ली: बिहार में सफलतापूर्वक विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) का काम पूरा होने के बाद, चुनाव आयोग ने सोमवार को देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एसआइआर के दूसरे चरण की घोषणा की। यह महत्वपूर्ण कवायद मंगलवार, 28 अक्टूबर से शुरू हो गई है और अगले साल 7 फरवरी, 2026 तक चलेगी। इस कदम का उद्देश्य मतदाता सूची को ‘पूरी तरह से शुद्ध और पारदर्शी’ बनाना है।

SIR से 12 राज्यों में 51 करोड़ मतदाताओं की सूची होगी ‘शुद्ध’

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बताया कि इस चरण में उत्तर प्रदेश, बंगाल, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे बड़े राज्यों सहित कुल 12 क्षेत्र शामिल हैं, जिनकी मतदाता संख्या लगभग 51 करोड़ है।

  • सबसे अधिक मतदाता: अकेले उत्तर प्रदेश में 15.44 करोड़ मतदाता हैं।
  • अन्य प्रमुख राज्य: बंगाल (7.66 करोड़), तमिलनाडु (6.41 करोड़), मध्य प्रदेश (5.74 करोड़), राजस्थान (5.48 करोड़), और छत्तीसगढ़ (2.12 करोड़)।

SIR के दूसरे चरण में शामिल राज्य और केंद्र शासित प्रदेश

इस चरण में शामिल 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में वे चार राज्य भी हैं, जहां 2026 की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं:

  1. उत्तर प्रदेश
  2. बंगाल (2026 में चुनाव)
  3. मध्य प्रदेश
  4. छत्तीसगढ़
  5. तमिलनाडु (2026 में चुनाव)
  6. राजस्थान
  7. केरल (2026 में चुनाव)
  8. गुजरात
  9. गोवा
  10. पुडुचेरी (केंद्र शासित प्रदेश, 2026 में चुनाव)
  11. लक्षद्वीप (केंद्र शासित प्रदेश)
  12. अंडमान निकोबार (केंद्र शासित प्रदेश)

असम रहेगा बाहर: सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में चल रही नागरिकता जांच के कारण असम में एसआइआर बाद में कराने का फैसला लिया गया है।

SIR के दौरान मतदाता सूची में बदलाव पर तत्काल रोक

चुनाव आयोग ने घोषणा के साथ ही इन सभी 12 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की मतदाता सूची में तत्काल प्रभाव से किसी भी फेरबदल पर रोक लगा दी है। अब एसआइआर की प्रक्रिया पूरी होने तक न तो कोई नाम जोड़ा जा सकेगा और न ही हटाया जा सकेगा।

यह वीडियो देखें

मतदाताओं के लिए क्या है बदलाव?

बिहार के अनुभव के आधार पर, SIR की इस चरण में प्रक्रिया को और सरल बनाया गया है:

  • यूनिक फॉर्म: प्रत्येक मतदाता को एक यूनिक गणना फॉर्म दिया जाएगा, जिसमें पुराना पता और फोटो छपा होगा।
  • संशोधन का मौका: मतदाता निवास स्थान बदलने पर पते में संशोधन कर सकते हैं।
  • रंगीन फोटो पर ज़ोर: आयोग ने मतदाताओं से गणना फार्म में रंगीन फोटो लगाने का सुझाव दिया है, ताकि पहचान पत्रों में चेहरा साफ उभर सके।

मतदाता सूची के पुनरीक्षण (SIR) का कार्यक्रम (28 अक्टूबर 2025 से 7 फरवरी 2026)

यह विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) 1951 से 2004 के बीच आठवीं बार हो रहा है। इसका विस्तृत कार्यक्रम इस प्रकार है:

कार्यअवधि
गणना पत्रों की छपाई व बीएलओ को प्रशिक्षण28 अक्टूबर से 3 नवंबर तक
घर-घर जाकर पुनरीक्षण का काम4 नवंबर से 4 दिसंबर तक
मतदाता सूची के मसौदे का प्रकाशन9 दिसंबर
दावे और आपत्तियों का समय9 दिसंबर से 8 जनवरी 2026 तक
दस्तावेजों की जांच, सुनवाई, सत्यापन9 दिसंबर से 31 जनवरी 2026 तक
अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन7 फरवरी 2026

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SIR क्यों है ज़रूरी? आयोग ने बताई वजहें

मुख्य चुनाव आयुक्त ने स्पष्ट किया कि मतदाता सूची में पारदर्शिता लाने के लिए यह कदम उठाना अनिवार्य हो गया था। इसके मुख्य कारण हैं:

  1. बढ़ता शहरीकरण और विस्थापन: लोगों के तेजी से स्थान बदलने के कारण सूची में त्रुटियां आना।
  2. दोहरी प्रविष्टि: कई मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में दो-दो जगह दर्ज होना।
  3. मृतकों के नाम: मृत होने के बाद भी नाम न हटाया जाना।
  4. अवैध घुसपैठ: बड़ी संख्या में लोगों द्वारा गलत तरीके से नाम जुड़वाना।

एसआइआर के ज़रिए इन सभी पहलुओं की गंभीरता से जांच और निवारण किया जाएगा।

‘सभी राज्य सरकारें सहयोग के लिए प्रतिबद्ध’

बंगाल में एसआइआर को लेकर राजनीतिक दलों की टिप्पणी पर मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि एसआइआर एक संवैधानिक प्रक्रिया है। संविधान के तहत, राज्य सरकारें चुनाव आयोग को हर तरह का सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि कानून-व्यवस्था राज्य सरकार की ज़िम्मेदारी है और कोई असहयोग नहीं होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि आयोग का किसी भी राजनीतिक दल से कोई मनमुटाव नहीं है और बिहार में ज़मीनी स्तर पर दलों ने पूरा सहयोग किया था।

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Alka Tiwari

अलका तिवारी पिछले तकरीबन बीस वर्षों से पत्रकारिता से जुड़ी हैं। इलेक्ट्रानिक मीडिया के साथ ही अलका तिवारी प्रिंट मीडिया में भी लंबा अनुभव रखती हैं। बदलते दौर में अलका अब डिजिटल मीडिया के साथ हैं और खबरदेवभूमि.कॉम में प्रमुख भूमिका निभाती हैं।

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