टीईटी अनिवार्य किए जाने के ‘सुप्रीम’ फैसले पर शिक्षकों ने बड़ा क़दम उठाने की तैयारी कर ली है. शिक्षकों का कहना है कि सभी के लिए TET की अनिवार्यता ठीक नहीं. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सभी शिक्षों के लिए टीईटी को आनिवार्य किए जाने का फैसला सुनाया है. इस मामले पर शिक्षकों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से लाखों शिक्षक प्रभावित होंगे और सेवा में बने रहने के लिए टीईटी की बाध्यता आवश्यक कर देने से ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ टीचर्स ऑर्गेनाइजेशन ने एक बड़ा क़दम उठाने की तैयारी कर ली है.
सभी शिक्षकों को सेवा में बने रहने के लिए टीईटी की बाध्यता को लेकर अब शिक्षक पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की तैयारी में हैं. ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ टीचर्स ऑर्गेनाइजेशन (AIFTO) ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का कड़ा विरोध किया है, जिसमें शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) को अनिवार्य किया गया है. संगठन का कहना है कि इस फैसले से लाखों शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं, जिनमें से कई ऐसे हैं जिनकी सेवा 20 साल या उससे भी अधिक हो चुकी है। फेडरेशन का मानना है कि टीईटी की बाध्यता ऐसे अनुभवी शिक्षकों के लिए उचित नहीं है और यह उन्हें पदोन्नति से वंचित कर सकती है.
टीईटी न पास करने वाले शिक्षकों को पदोन्नति न देने और सेवा में बने रहने के लिए टीईटी को अनिवार्य करने की बाध्यता को संगठन ने अनुचित बताया है. ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ टीचर्स ऑर्गेनाइजेशन ने साफ किया है कि वे सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे। संगठन का कहना है कि वे इस मामले में न्याय के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।
संगठन का तर्क है कि TET का उद्देश्य नई नियुक्तियों के लिए गुणवत्ता सुनिश्चित करना है, न कि उन शिक्षकों को परेशान करना जो पहले से ही वर्षों से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। ये शिक्षक पहले से ही अनुभवी हैं और उनके पास वर्षों का शिक्षण अनुभव है, जो किसी भी परीक्षा से अधिक महत्वपूर्ण है। इस फैसले से शिक्षकों के मनोबल पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।