उत्तराखंड को केंद्र से एक बड़ी सौगात मिलने जा रही है। केंद्र ने पिथौरागढ़ जनपद में गौरीगंगा नदी पर प्रस्तावित 120 मेगावाट क्षमता की सिरकारी भ्योल रूपसियाबगड जल विद्युत परियोजना को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस परियोजना की मंजूरी के लिए पिछले काफी वक्त से लगे थे। आखिरकार सीएम धामी की कोशिशें रंग लाई हैं।
सोमवार को दिल्ली स्थित इंदिरा पर्यावरण भवन में हुई बैठक में पिथौरागढ़ जनपद में गौरीगंगा नदी पर प्रस्तावित 120 मेगावाट क्षमता की सिरकारी भ्योल रूपसियाबगड जल विद्युत परियोजना को लेकर चर्चा हुई। इस परियोजना के क्रियान्वयन के लिए 29.997 हेक्टेयर वन भूमि हस्तांतरण के प्रस्ताव पर वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की वन सलाहकार समिति (Forest Advisory Committee) द्वारा विचार किया गया। चर्चा के बाद पर्यावरण भवन में हुई इस महत्वपूर्ण बैठक में परियोजना को सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान की गई।
पर्यावरण के लिहाज से डिजाइन हुई योजना
यह परियोजना पर्यावरण की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील रूप से डिजाइन की गई है। लगभग एक किलोमीटर सुरंग निर्माण और अधिकांश संरचनाएं भूमिगत होने के कारण वनभूमि पर प्रभाव नगण्य रहेगा। परियोजना क्षेत्र में कोई राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभ्यारण्य या ईको-सेंसिटिव जोन नहीं है, और न ही इससे किसी प्रकार का विस्थापन होगा।
होगा हरित उर्जा का उत्पादन, मिलेगा रोजगार भी
परियोजना से प्रतिवर्ष अनुमानित 529 मिलियन यूनिट हरित ऊर्जा का उत्पादन होगा, जिससे उत्तराखण्ड की विद्युत आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ-साथ राज्य को ऊर्जा आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा। साथ ही स्थानीय लोगों को स्थायी एवं अस्थायी रोजगार, आधारभूत ढांचे का विकास और पलायन पर नियंत्रण जैसे अनेक लाभ होंगे।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने परियोजना को स्वीकृति मिलने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा, “यह परियोजना उत्तराखण्ड के सीमांत क्षेत्र के सर्वांगीण विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन और समर्थन से राज्य को ऊर्जा और रोजगार के क्षेत्र में अभूतपूर्व उपलब्धि मिली है। राज्य सरकार जनकल्याण के प्रति पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। यह परियोजना उत्तराखण्ड के उज्ज्वल भविष्य की आधारशिला बनेगी।”