उत्तरकाशी के धराली में आपदा (Uttarkashi cloud burst) के पांचवें दिन आखिरकार गंगोत्री नेशनल हाईवे पर लिमच्यागाड में टूटे पुल की जगह बेली ब्रिज बना दिया गया है। इस पुल पर आवागमन शुरू हो गया है। अब राहत कार्यों में लगी टीमों के लिए आगे की टूटी सड़कों का निर्माण करने की चुनौती है।
पुल बना, उम्मीदे जगी, डबरानी तक मार्ग सुचारू
गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर लिमच्यागाड में आपदा से क्षतिग्रस्त पुल के स्थान पर वैली ब्रिज का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है। युद्धस्तर पर कार्य कर बीआरओ ने पुल बना दिया है। इस पुल के बन जाने के बाद अब गंगोत्री मार्ग पर अब डबरानी पुल तक सड़क मार्ग सुचारू हो गया है और इससे आगे क्षतिग्रस्त सड़क का तेजी से पुनर्निर्माण करने की राह भी प्रशस्त हो गई है।
आपको बता दें कि धराली में आई आपदा के दौरान गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग अनेक स्थानों पर क्षतिग्रस्त हो गया था और गंगनानी से आगे लिमच्यागाड़ पर बना 30 मीटर लंबाई का पुल आपदा के दौरान बह गया। जिसके फलस्वरूप सीमांत टकनौर क्षेत्र की लाइफलाइन कही जाने वाली इस सड़क पर यातायात पूरी तरह से बाधित हो गया था।
सीएम धामी खुद कर रहे थे मॉनिटरिंग
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा आपदा के तुरंत बाद मौके पर पहुंचकर राहत एवं बचाव तथा पुनर्निर्माण कार्यों को युद्धस्तर पर संचालित करने के निर्देश दिए गए थे। मुख्यमंत्री निरंतर इन कार्यों की प्रगति की समीक्षा कर रहे हैं। मुख्यमंत्री की निगरानी व निर्देशन में राज्य व केंद्र सरकार के अनेक विभागों व एजेंसियों द्वारा रेस्क्यू एवं राहत अभियान बेहतर समन्वय और पूरी तेजी के साथ संचालित किया जा रहा है। इसके साथ ही आपदा प्रभावित क्षेत्र में यथाशीघ्र सामान्य स्थिति बहाल करने हेतु दिन रात काम किया जा रहा है। जिसके परिणामस्वरूप आपदा प्रभावित क्षेत्र में संचार सुविधा, बिजली और पेयजल की आपूर्ति को बहाल किया जा चुका है।
राहत का रविवार, तेज होगा बचाव कार्य
भटवाड़ी सहित अन्य जगहों पर क्षतिग्रस्त सड़क को बहाल करने के बाद सीमा सड़क संगठन ने लोनिवि के सहयोग से दिनरात जुट कर लिमच्यागाड मे वैली ब्रिज बनाने का चुनौतीपूर्ण कार्य रविवार शाम को पूरा कर लिया है।
गंगोत्री मार्ग पर अब डबरानी पुल तक सड़क संपर्क बहाल हो जाने के फलस्वरूप इससे आगे के हिस्सों में क्षतिग्रस्त सड़क के पुनर्निर्माण का कार्य तेजी से पूरे हो सकेंगे । इससे राहत एवं पुनर्वास कार्यों को और अधिक प्रभावी एवं तीव्र गति से संचालित किया जा सकेगा।