Breaking: नवाबों के शहर के व्यंजनों को मिला UNESCO का Global Tag, PM Modi ने भी की तारीफ

UNESCO की सूची में अब लखनऊ के लजीज व्यंजनों को भी जगह मिल गई है।नवाबों के शहर लखनऊ ने अपनी सदियों पुरानी पाक कला की विरासत के दम पर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने लखनऊ को अपनी प्रतिष्ठित 'क्रिएटिव सिटीज नेटवर्क' (UCCN) की सूची में 'पाककला (गैस्ट्रोनॉमी)' श्रेणी में शामिल किया है। यह सम्मान शहर के समृद्ध खान-पान और 'अवधी' व्यंजनों की वैश्विक पहचान का प्रतीक है।

UNESCO की सूची में शामिल होने की घोषणा

UNESCO की महानिदेशक ऑड्रे अजोले ने 31 अक्टूबर को उज्बेकिस्तान के समरकंद में आयोजित यूनेस्को के 43वें महासम्मेलन में विश्व नगर दिवस के अवसर पर लखनऊ सहित 58 नए शहरों को UCCN में शामिल करने की घोषणा की।

  • श्रेणी: लखनऊ को 'पाककला' (Gastronomy) की श्रेणी में यह मान्यता दी गई है।
  • वैश्विक पहचान: यह सम्मान लखनऊ की खानपान परंपरा, सांस्कृतिक विविधता और नवाचार को विश्व पटल पर स्थापित करता है।
  • नेटवर्क की स्थिति: इस घोषणा के बाद यूसीएन में अब 100 से अधिक देशों के 408 शहर शामिल हो गए हैं।

नामांकन और प्रक्रिया

लखनऊ को UNESCO का यह सम्मान दिलाने में उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग और भारत सरकार के प्रयास सराहनीय रहे।

  • प्रारंभिक प्रस्ताव: उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने लखनऊ के लिए नामांकन 31 जनवरी 2025 को केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय को भेजा था।
  • अंतिम डॉज़ियर: विस्तृत समीक्षा के बाद भारत सरकार ने 3 मार्च 2025 को यूनेस्को को अंतिम डोजियर प्रस्तुत किया था।
  • औपचारिक स्वीकृति: 31 अक्टूबर को आयोजित सम्मेलन में लखनऊ को औपचारिक रूप से 'क्रिएटिव सिटी ऑफ गैस्ट्रोनॉमी' नेटवर्क में शामिल किया गया।

लखनऊ का लजीज जायका: एक पाककला जन्नत

UNESCO में शामिल होने के बाद, लखनऊ का लजीज खाना अब विश्व मंच पर एक ब्रांड के तौर पर उभरेगा। लखनऊ की पाककला नवाबों के जमाने से चली आ रही 'दम पुख्त' (धीमी आंच पर पकाना) जैसी विशिष्ट अवधी विरासत का जीवंत प्रमाण है।

  • प्रमुख व्यंजन:
    • मुंह में पानी लाने वाले गलाउटी कबाब (Tunday Kebab) और कुल्चा-निहारी
    • स्वाद से भरपूर अवधी बिरयानी
    • स्वादिष्ट चाट, गोलगप्पे और बास्केट चाट
    • मनमोहक मिठाइयाँ जैसे मक्खन मलाई और मलाई गिलौरी
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भारत के लिए गर्व का क्षण और पर्यटन पर प्रभाव

UNESCO में भारत के स्थायी प्रतिनिधिमंडल ने इसे 'गर्व का क्षण' बताया है। उत्तर प्रदेश सरकार और पर्यटन विभाग भी इस उपलब्धि से काफी उत्साहित हैं।

  • गौरव: यह सम्मान शहर की समृद्ध पाक परंपराओं और अवधी विरासत का प्रतीक है।
  • पर्यटन वृद्धि: पर्यटन और संस्कृति विभाग की प्रमुख सचिव अमृत अभिजात के अनुसार, यह चयन व्यंजन परंपरा और पाक कला धरोहर को एक नई अंतर्राष्ट्रीय पहचान देगा।
  • आंकड़े: साल 2024 में लखनऊ में 82.74 लाख पर्यटक आए थे, जबकि 2025 के पहले 6 महीनों में ही 70.20 लाख पर्यटक पहुंच चुके हैं, जो पर्यटन में खान-पान की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने दी बधाई और किया आह्वान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सोशल मीडिया पर लखनऊ की इस उपलब्धि पर खुशी व्यक्त की। "लखनऊ एक जीवंत संस्कृति का पर्याय है, जिसके मूल में एक शानदार पाक कला संस्कृति है। मुझे खुशी है कि UNESCO ने लखनऊ के इस पहलू को भी मान्यता दी है।"उन्होंने दुनिया भर के लोगों से लखनऊ आने और इसकी पाक कला की विशेषता को जानने का आह्वाहन भी किया है।

लखनऊ का जायका सदियों पुरानी अवधी परंपराओं से जुड़ा हुआ है। भारत में संयुक्त राष्ट्र की इकाई ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करके कहा कि "मुंह में पानी लाने वाले गलावटी कबाब से लेकर अवधी बिरयानी, स्वादिष्ट चाट और गोलगप्पे, इसके साथ ही मक्खन मलाई जैसी मिठाइयाँ और भी बहुत कुछ... उत्तर प्रदेश का लखनऊ लजीज खाने के लिए एक जन्नत है।"

इस उपलब्धि के बाद, अब टुंडे कबाब से लेकर कुल्चा-निहारी और नवाबी रसोई से निकले अन्य व्यंजन विश्व मानचित्र पर प्रदेश की पहचान को और ऊंचा उठाएंगे।

Alka Tiwari

अलका तिवारी पिछले तकरीबन बीस वर्षों से पत्रकारिता से जुड़ी हैं। इलेक्ट्रानिक मीडिया के साथ ही अलका तिवारी प्रिंट मीडिया में भी लंबा अनुभव रखती हैं। बदलते दौर में अलका अब डिजिटल मीडिया के साथ हैं और खबरदेवभूमि.कॉम में प्रमुख भूमिका निभाती हैं।

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