Kumbh-2027 Preparations: उत्तराखण्ड के रजत जयंती वर्ष के अवसर पर, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आवास ने आध्यात्मिक ऊर्जा और सांस्कृतिक सौहार्द के केंद्र का रूप ले लिया। देशभर के प्रमुख संतों एवं धर्माचार्यों ने मुख्यमंत्री से भेंट कर राज्य की प्रगति, सांस्कृतिक संरक्षण और आध्यात्मिक समृद्धि के लिए उनके प्रयासों की सराहना की।
Kumbh-2027: संत समाज द्वारा मुख्यमंत्री की प्रशंसा और आशीर्वाद
संत समाज ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को उनके सकारात्मक बदलाव, विरासत संरक्षण और धार्मिक-सांस्कृतिक मानकों को सुदृढ़ करने वाले निर्णयों के लिए आशीर्वाद दिया।
- उपाधि: संतों ने मुख्यमंत्री को "देवभूमि का धर्म-संरक्षक" बताया।
- नेतृत्व पर मत: संतों ने कहा कि उनके नेतृत्व में उत्तराखण्ड आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और विकास की नई ऊँचाइयों की ओर अग्रसर है।
- सांस्कृतिक पहचान: संतों ने सराहना करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक पहचान, आध्यात्मिक परंपरा और सामाजिक समरसता को मजबूत करने वाला नेतृत्व प्रदान किया है, जिससे देवभूमि की मूल आत्मा और सनातन विरासत सुरक्षित और सुदृढ़ हुई है।
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आध्यात्मिक संगम में शामिल प्रमुख हस्तियाँ
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आवास में आयोजित इस आध्यात्मिक मिलन में कई प्रतिष्ठित संत-महात्मा एवं धर्माचार्य उपस्थित रहे:
- आचार्य महामण्डलेश्वर कैलाशानंद गिरी महाराज।
- जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ।
- परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ।
- अखाड़ा परिषद अध्यक्ष स्वामी रविंद्रपुरी महाराज।
- बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री।
- पतंजलि योगपीठ के आचार्य बालकृष्ण।
- प्रसिद्ध आध्यात्मिक वक्ता जया किशोरी।
- चिंतक व लेखक डॉ. कुमार विश्वास।
राज्य सरकार की नीतियों की सराहना
संत समाज ने राज्य सरकार की उन नीतियों की भी सराहना की, जिनसे निम्नलिखित क्षेत्रों को नया आयाम मिला है:
- सामाजिक-सांस्कृतिक अनुशासन।
- धार्मिक स्थलों का संरक्षण।
- आध्यात्मिक पर्यटन विकास।
- परंपरा-संरक्षण।
कुम्भ-2027 की तैयारी पर प्रतिबद्धता
संत समाज ने मुख्यमंत्री को आशीर्वाद देते हुए हरिद्वार Kumbh-2027 के आयोजन को लेकर अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की:
- सहयोग का आश्वासन: संतों ने कहा कि वे भव्य, दिव्य और विश्व-स्तरीय कुम्भ के लिए सरकार के साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर कार्य करेंगे।
- तैयारियों की प्रशंसा: संतों ने यातायात, अधोसंरचना, घाटों का सौंदर्यीकरण, सुरक्षा व्यवस्थाएँ, स्वच्छता और तीर्थ विकास जैसे क्षेत्रों में किए जा रहे प्रयासों को सराहनीय बताया।
- भविष्य की दृष्टि: संतों ने विश्वास व्यक्त किया कि ये योजनाएँ हरिद्वार को आने वाले वर्षों में विश्व आध्यात्मिक धरोहर केंद्र के रूप में और अधिक प्रतिष्ठित करेंगी।
- मुख्यमंत्री का दृष्टिकोण: संतों ने मुख्यमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व की प्रशंसा की, जिसके बल पर कुम्भ-2027 इतिहास में स्वर्णिम अध्याय लिखेगा।



