UCC यानि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता आज सोमवार से लागू हो गया है. अब राज्य के सभी नागरिकों (हर धर्म, जाति, लिंग) पर एक ही कानून लागू होगा. उत्तराखंड अब देश में UCC (Uniform Civil Code) लागू करने वाला पहला राज्य बन गया है.
UCC धर्म या पंत के खिलाफ नहीं है: सीएम धामी
CM Pushkar Singh Dhami ने कहा है कि समान नागरिक संहिता किसी भी धर्म या पंत के खिलाफ नहीं है. इसमें किसी को टार्गेट करने का कोई कारण नहीं है. यह समाज में समानता लाने का कानूनी प्रयास है. इसमें किसी प्रथा को नहीं बदला गया है बल्कि कुप्रथा को खत्म किया गया है.’ आइए जानते हैं अब उत्तराखंड में क्या-क्या बदल जाएगा?
60 दिन के अंदर विवाह को करना होगा रजिस्टर
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि यह UCC कानून सभी पर एकसमान अधिकार और जिम्मेदारियों को सुनिश्चित करते हुए समाज में एकरूपता लेकर आएगा. UCC में बहुविवाह और हलाला की अनुमति नहीं है. साथ ही 2010 से हुई शादियों का रजिस्ट्रेशन करवाना होगा और एक्ट लागू होने के बाद होने वाली शादियों को 60 दिन के अंदर रजिस्टर करवाना होगा. सभी धर्मों के लिए तलाक का कानून भी एक जैसा होगा.
ट्रांसजेंडर की परंपराओं में कोई बदलाव नहीं है
ट्रांसजेंडर की परंपराओं में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है. संविधान के अनुच्छेद-342 में वर्णित अनुसूचित जनजातियों को यूसीसी से बाहर रखा गया है. इन जनजातियों को रीति-रिवाजों के संरक्षण के लिहाज से इन्हें यूसीसी से बाहर रखा गया है.
लिव-इन रिलेशनशिप के लिए जरूरी है रजिस्ट्रेशन
उत्तराखंड UCC कानून विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, लिव-इन रिलेशनशिप और इनसे संबंधित अन्य विषयों को रेगुलेट करेगा. यूसीसी में सभी धर्मों में पुरुषों और महिलाओं के लिए समान शादी की उम्र, तलाक के आधार और प्रक्रियाएं तय की गईं हैं, जबकि बहुविवाह और हलाला पर बैन लगाया गया है.
लिव-इन में जन्मा बच्चा होगा लीगल
लिव-इन में पैदा हुए बच्चे को लीगल माना जाएगा. रिलेशनशिप टूटने पर महिला गुजारा-भत्ता मांग सकती है. सीएम धामी ने कहा कि लिव इन में रहने के दौरान जन्मे बच्चे को उस कपल का बच्चा माना जाएगा और उसे सभी अधिकार प्राप्त होंगे. उन्होंने कहा, ‘हमारा उद्देश्य किसी की निजता का हनन करना नहीं है बल्कि उनकी सुरक्षा हमारी सबसे पहली प्राथमिकता है.
हलाला-बहु-विवाह पर रोक
इस्लाम में प्रचलित हलाला प्रथा पर यूसीसी में रोक लगा दी गई है. उत्तराखंड में रहने वाले मुस्लिम लोग हलाला प्रथा का पालन नहीं कर सकते हैं. साथ ही बहुविवाह पर भी रोक है.
शादी के बाद तलाक का रजिस्ट्रेशन
इस कानून के जरिए शादी की तरह विवाह-विच्छेद का पंजीकरण भी जरूरी है, जो वेब पोर्टल के जरिए किया जा सकेगा.
दूसरे धर्म का बच्चा गोद लेने पर रोक
यूसीसी के तहत सभी धर्मों को बच्चा गोद लेने का अधिकार है, लेकिन अपने ही धर्म का बच्चा गोद ले सकते हैं. दूसरे धर्म का बच्चा गोद लेने पर रोक है.
बेटा और बेटी को संपत्ति में बराबर का हक
यूसीसी के तहत सभी समुदायों में बेटा और बेटी को पिता की संपत्ति में बराबर का हक मिलेगा. प्राकृतिक संबंधों, सहायक विधियों या लिव-इन रिलेशनशिप में जन्मे बच्चों का भी संपत्ति में अधिकार माना जाएगा.
माता-पिता को भी संपत्ति में अधिकार
किभी व्यक्ति की मृत्यु के बाद पत्नी और बच्चों के साथ माता-पिता को भी संपत्ति में हक मिलेगा. अगर संपत्ति को लेकर कोई मतभेद की स्थिति पैदा होती है तो मृतक की संपत्ति में से पत्नी, बच्चों और माता-पिता को समान अधिकार मिलेगा.
बता दें कि 27 जनवरी को UCC लागू किए जाने की तारीख पहले से तय की गई थी. सीएम धामी ने यूसीसी पोर्टल ucc.uk.gov.in का शुभारंभ भी किया और UCC लागू करते हुए कहा कि इस कानून से समाज में एकरूपता आएगी और सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार और दायित्व तय होंगे. समान नागरिक संहिता के अंतर्गत जाति, धर्म, लिंग आदि के आधार पर भेद करने वाले व्यक्तिगत नागरिक मामलों से संबंधित सभी कानूनों में एकरूपता लाने की कोशिशि की गई है.
2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उत्तराखंड में यूसीसी लागू करने को प्रमुख चुनावी वादे में रखा था. सीएम की कुर्सी पर दोबारा बैठते ही पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में कैबिनेट की पहली ही बैठक में यूसीसी प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए उसका मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञ कमेटी के गठन पर मुहर लगा दी गई थी.