Ghanna Bhai Uttarakhand: हास्य कलाकार घन्ना भाई का निधन…उत्तराखंड कला जगत में शोक, जानिए कब और कैसे शुरु हुआ था रंगमंच का सफ़र

Ghanna Bhai: उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध हास्य कलाकार घनानंद उर्फ घन्ना भाई (Ghanna Bhai Profile) अब इस दुनिया में नहीं रहे. गंभीर हालत में Ghananand Bhai को देहरादून स्थित श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में भर्ती कराया गया था, वह पिछले चार दिनों से वेंटिलेटर पर थे. डॉक्टर क्रिटिकल केयर यूनिट में उनकी निगरानी कर रहे थे.

Ghanna Bhai के निधन से उत्तराखंड कला और सिनेमा जगत में शोक की लहर दौड़ गई. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घनानंद के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि ईश्वर दिवंगत आत्मा को श्री चरणों में स्थान दें और उनके परिजनों को इस दुख को सहने की शक्ति प्रदान करें. आइए जानते हैं घन्ना भाई के हास्य कलाकार बनने की कैसे हुई शुरुआत.

रंगमंच में Ghanna Bhai का सफर 1970 में रामलीला नाटक से शुरू हुआ. अपने अनोखे हास्य अंदाज के कारण जल्द ही वह लोगों के दिलों में जगह बनाने लगे. 1974 में उन्होंने रेडियो और दूरदर्शन के कार्यक्रमों में भी अपनी कला का प्रदर्शन किया. उनकी संवाद शैली और व्यंग्य भरी कॉमेडी उन्हें आम जनता से जोड़ती रही.

Ghananand Bhai का फिल्मी सफर

Ghananand Bhai ने उत्तराखंड की कई सुपरहिट गढ़वाली और कुमाऊंनी फिल्मों में काम किया उनकी चर्चित फिल्मों में घरजवें, चक्रचाल, बेटी-ब्वारी, जीतू बगडवाल, सतमंगल्या, Ghananand Bhai एमबीबीएस, घन्ना गिरगिट और यमराज जैसी शानदार फिल्में शामिल हैं.

Ghananand Bhai ने राजनीति में आजमाया था हांथ

2012 में घन्ना भाई ने पौड़ी विधानसभा सीट से चुनाव भी लड़ा. हालांकि वह यह चुनाव नहीं जीत सके लेकिन उनकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई. राजनीति में असफल रहने के बावजूद उन्होंने अपनी कला से लोगों को हंसाना जारी रखा.

व्यंग्य भरी कॉमेडी Ghanna Bhai को आम जनता से जोड़ती रही

1953 में पौड़ी गढ़वाल के गगोड़ गांव में जन्मे घनानंद की शिक्षा कैंट बोर्ड लैंसडाउन में हुई. उनका सफर 1970 में रामलीला नाटक से शुरू हुआ. अपने अनोखे हास्य अंदाज के कारण जल्द ही वह लोगों के दिलों में जगह बनाने लगे. 1974 में उन्होंने रेडियो और दूरदर्शन के कार्यक्रमों में भी अपनी कला का प्रदर्शन किया. उनकी संवाद शैली और व्यंग्य भरी कॉमेडी उन्हें आम जनता से जोड़ती रही.

Ghanna Bhai की सरलता और मृदुता ने लाखों दिलों को छुआ. उनके व्यंग्य और हास्य में गहरी सामाजिक सोच छिपी होती थी. वह सिर्फ एक कलाकार नहीं बल्कि उत्तराखंड की कला संस्कृति के एक अभिन्न अंग थे. भले ही Ghanna Bhai अब हमारे बीच नहीं रहे लेकिन उनकी यादें और उनका योगदान गढ़वाली-कुमाऊंनी सिनेमा में अमर रहेगा.

---Advertisement---

Leave a Comment