Harak Singh Rawat फिर से सुर्खियों में क्यों, किसे कह दिया ‘बंदर’!

Harak Singh Rawat: कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत के अजीबोगरीब बयान कोई नई बात नहीं हैं. बयान भी ऐसे कि सनसनी मचा दें, लोगों को अपनी तरफ खींच लें. इस बार उनका निशाना हैं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट . Harak Singh Rawat ने महेंद्र भट्ट पर निशाना साधते हुए उन्हें ‘बंदर’ की उपाधि दे दी है. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला.

Harak Singh Rawat ने कहा है कि ‘बंदर’ के सिर पर अगर टोपी रख दो तो वह नाचने लगता है. हरक सिंह रावत ने सत्ता और पद मिलने को बताया है कि यह बहुत क्षणिक होता है. उन्होंने कहा कि युवा और अनुभव ही नेताओं को जब अचानक से कोई बड़ा पद दे दिया जाता है तो अहंकार उनमें कूट-कूट कर भर जाता है, और वह सब कुछ भूल जाते हैं.

हरक सिंह रावत मुख्य रूप से बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट पर निशाना साथ रहे थे. Harak Singh Rawat ने भट्ट की राजनीतिक परिपक्वता पर सवाल खड़े किए हैं. हरक सिंह रावत ने अपने बयान से यह साफ कर दिया है कि वह बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट को अनुभवहीन और अपरिपक्व मानते हैं. इसीलिए उन्होंने तंज करते हुए कहा कि बंदर के सिर पर अगर टोपी रख दो तो वह नाचने लगता है.

अनुभवहीन बड़ा पद मिलने से औकात भूल जाता है-Harak Singh Rawat

Harak Singh Rawat के इस बयान ने सियासी हल्कों में हलचल मचा दी है. दरअसल ऐसा माना जा रहा है कि हरक सिंह रावत ने महेंद्र भट्ट के ‘सड़क छाप’ वाले बयान पर पलटवार किया है. उन्होंने कहा है कि महेंद्र भट्ट अनुभव और समझ के अभाव के कारण ऐसा कह रहे हैं. हरक सिंह रावत का कहना है कि जब व्यक्ति को पद या सत्ता मिल जाती है तो उसका दिमाग घूम जाता है और बड़ा पद मिलने के कारण उसका सिर चकरा जाता है और वह अपनी औकात भूल जाता है.

कांग्रेस के नेता Harak Singh Rawat का कहना है कि वह अपने राजनीतिक अनुभव को साझा कर रहे हैं. इसीलिए उन्होंने 1992 का जिक्र किया जब वह उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री बने थे. Harak Singh Rawat ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि उसे समय उनकी उम्र मात्र 27 साल की थी और उसे समय सचिव स्तर के अधिकारी भी उन्हें सर-सर कहकर संबोधित करते थे. इससे उनका भी दिमाग खराब हो गया. लेकिन जब 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद जब सरकार चली गई तो उन्हें अपनी वास्तविक स्थिति का पता चला.

Harak Singh Rawat बताते हैं कि उस समय सरकार जाने के बाद उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि यह सभी कुछ क्षणिक होता है. उन्होंने बताया कि सरकार जाते ही सरकारी ड्राइवर भी उन्हें कल्याण सिंह की कोठी पर छोड़कर चला गया और वह टैक्सी लेकर घर लौटे थे. हरक सिंह रावत ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट पर निशाना साधते हुए कहा कि युवा और अनुभव ही नेताओं को इससे सीख लेनी चाहिए.

हरक सिंह रावत ने राज्य की पुष्कर सिंह धामी सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकार के अनुभवहीन मंत्रियों के कारण विधानसभा के भीतर और बाहर का माहौल इस वक्त बेहद खराब हो गया है. उन्होंने आरोप लगाया कि धामी सरकार ने जनता की समस्याओं का समाधान करने के बजाय केवल राजनीतिक बयानबाजी में ही समय गंवाया है

उत्तराखंड की राजनीति में बयान बाजी का दौर चल चुका है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट पर ‘बंदर के सिर पर टोपी’ वाला तंज अब बीजेपी के लिए मुसीबत वाली स्थिति पैदा कर सकता है. Uttarakhand में मंत्रियों के फेरबदल की भी सुगबुगाहट तेज हो गई है. अब देखना होगा कि बीजेपी Harak Singh Rawat के इस बयान पर क्या प्रतिक्रिया देती है और सियासी घमासान का क्या असर पड़ने वाला है.

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