उत्तराखंड का हरिद्वार मंगलवार को खबरों में बना रहा। यहां शासन और खास तौर पर सीएम पुष्कर सिंह धामी की ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ ने पूरे प्रशासन अमले को हिला कर रख दिया। हरिद्वार के डीएम, एसडीएम समेत दस अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया है जबकि दो का सेवा विस्तार खत्म कर दिया गया है।
क्या है हरिद्वार का जमीन घोटाला ? नगर निगम के अधिकारियों ने खेला खेल
हरिद्वार में अधिकारियों ने जमीन घोटाले को अंजाम दिया। दरअसल हरिद्वार नगर निगम ने कूड़े को डंप करने के लिए 2.3 हेक्टेयर जमीन की खरीद की गई। इस जमीन में गंभीर वित्तीय अनियमितताएं बरती गईं। खरीद से पहले विक्रेताओं से मिल कर जमीन का उपयोग बदला गया। इसके बाद जमीन की कीमत बढ़ गई। इसके बाद नगर निगम ने 13 करोड़ की जमीन 53 करोड़ रुपए में खरीद लिया। आरोप है कि जमीन की बढ़ी हुई कीमत भेजी तो विक्रेताओं के खाते में गई लेकिन बाद में घूम कर वो अधिकारियों के पास आई।
चुनावों के दौरान खेल, चुनाव के बाद पर्दाफाश
दरअसल जमीन का ये पूरा खेल उस वक्त खेला गया जब राज्य में नगर निगमों का कार्यकाल खत्म हो चुका था और वहां प्रशासकों का राज था। नगर निगम का काम डीएम देख रहे थे। ऐसे में अधिकारियों ने मनमानी की। लेकिन नगर निगम का चुनाव हुआ और हरिद्वार में किरन जैसल मेयर बन कर आईं। मेयर बनने के बाद उन्होंने इस जमीन घोटाले की शिकायत सीएम धामी से की। सीएम ने इस पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए आईएएस रणवीर सिंह चौहान को जांच सौंप दी। प्रारंभिक जांच में ही इस घोटाले की बू मिल गई।
होगी विजिलेंस जांच, रिकवरी के भी आदेश
हरिद्वार जमीन घोटाले को सीएम धामी ने बेहद गंभीरता से लिया। यही वजह है कि मुख्यमंत्री ने पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच सतर्कता विभाग (Vigilance Department) से कराए जाने के निर्देश दे दिए हैं ताकि दोषियों की पूरी श्रृंखला का खुलासा हो सके और पारदर्शिता बनी रहे।
यही नहीं हरिद्वार भूमि घोटाले से संबंधित विक्रय पत्र (Sale Deed) को निरस्त करते हुए भूस्वामियों को दिए गए धन की रिकवरी सुनिश्चित करने के सख्त निर्देश भी दिए गए हैं। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने तत्कालीन नगर आयुक्त श्री वरुण चौधरी के कार्यकाल के दौरान नगर निगम हरिद्वार में हुए सभी कार्यों का विशेष ऑडिट कराए जाने के निर्देश दिए हैं ताकि वित्तीय अनियमितताओं की समुचित जांच की जा सके।
इन अधिकारियों पर हुई कार्रवाई, कोई सस्पेंड तो किसी का सेवा विस्तार खत्म
कर्मेन्द्र सिंह – जिलाधिकारी और तत्कालीन प्रशासक नगर निगम हरिद्वार (निलंबित)
वरुण चौधरी – तत्कालीन नगर आयुक्त, नगर निगम हरिद्वार (निलंबित)
अजयवीर सिंह- तत्कालीन, उपजिलाधिकारी हरिद्वार (निलंबित)
निकिता बिष्ट – वरिष्ठ वित्त अधिकारी, नगर निगम हरिद्वार (निलंबित)
विक्की – वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक (निलंबित)
राजेश कुमार – रजिस्ट्रार कानूनगो, तहसील हरिद्वार (निलंबित)
कमलदास –मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, तहसील हरिद्वार (निलंबित)
पूर्व में हो चुकी कार्रवाई
रविंद्र कुमार दयाल- प्रभारी सहायक नगर आयुक्त (सेवा समाप्त)
आनंद सिंह मिश्रवाण- प्रभारी अधिशासी अभियंता (निलंबित)
लक्ष्मी कांत भट्ट्- कर एवं राजस्व अधीक्षक (निलंबित)
दिनेश चंद्र कांडपाल- अवर अभियंता (निलंबित)
वेदपाल- सम्पत्ति लिपिक (सेवा विस्तार समाप्त)