उत्तराखंड की राजनीति में इन दिनों बड़ी हलचल है। सबकुछ शांती से ठीकठाक चल रहा था लेकिन अचानक ऐसा माहौल बन गया है मानों कुछ बड़ा होने वाला है। फिलहाल संसद में हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत के अवैध खनन वाले बयान और ‘शेर और कुत्ता’ वाले बयान ने उत्तराखंड की राजनीतिक में हंगामा मचा रखा है। हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जिस तरीके से राज्य के एक वरिष्ठ आईएएस को इशारों में कुत्ता बताया है उसे लेकर अफसरशाही भी नाराज है।
संसद में त्रिवेंद्र ‘शेर’ बन गए, अधिकारी को ‘कुत्ता’ बनाने के पीछे क्या ?
अपनी साफगोई और स्पष्ट बयानी के लिए चर्चित त्रिवेंद्र सिंह रावत इस बार संसद में ‘शेर’ बन गए हैं। हरिद्वार की नदियों में अवैध खनन पर चिंता जताते हुए और टास्क फोर्स की मांग करते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत ने संसद में जो कुछ कहा उसकी प्रतिक्रिया उत्तराखंड में बहुत तेज हुई। त्रिवेंद्र ने संसद में दिए अपने बयान में सीधे तौर पर धामी सरकार के कामकाज पर सवाल उठाया था। जाहिर था कि धामी सरकार इसपर प्रतिक्रिया देती। हुआ भी ऐसा ही और धामी सरकार ने खनन सचिव बृजेश संत से एक बयान जारी करवा दिया। इस बयान की स्क्रिप्ट जिसने भी लिखी उसने इसे एक ब्यूरोक्रेट के बयान से अधिक राजनीतिक बयान बना डाला। बृजेश संत ने भी यही बयान कैमरे पर पढ़ दिया। बृजेश संत ने इस बयान में त्रिवेंद्र सिंह रावत के अवैध खनन के आरोपों को खारिज किया।
जल्द ही ये बयान त्रिवेंद्र तक पहुंचा। मीडिया ने त्रिवेंद्र से इस बयान पर प्रतिक्रिया मांगी। बस फिर क्या था, त्रिवेंद्र का ‘शेर अवतार’ सामने आ गया। त्रिवेंद्र ने प्रतिक्रिया तो दी नहीं लेकिन न देने का जो कारण बताया वो दिल्ली से लेकर देहरादून तक चर्चाओं में आ गया।
अवैध खनन का रोग पुराना, त्रिवेंद्र जी को दिखा अब ?
भले ही देश की संसद में उत्तराखंड की नदियों में अवैध खनन का मसला अब उछला हो लेकिन सच ये है कि उत्तराखंड में अवैध खनन एक पुराना मर्ज है और सरकारें इस रोग का इलाज नहीं तलाश पाईं हैं। सरकार और सिस्टम खनन माफिया के साथ इतने सौहार्दपूर्ण माहौल में काम करते हैं कि पता करना मुश्किल हो जाता है कि माफिया कौन है ? ऐसा नहीं है कि त्रिवेंद्र सरकार में अवैध खनन नहीं हो रहा था। हो सकता है कि त्रिवेंद्र जब सीएम थे को उनकी सरकार में अवैध खनन मौजूदा सरकार में कुछ कम या अधिक हो रहा हो लेकिन हो रहा था इसमें दो राय नहीं है। फिर भी अगर वो राज्य में अवैध खनन को लेकर इतनी गंभीरता से उठा रहे हैं और वो भी अपनी ही पार्टी की सरकार में तो जाहिर है कि इसके पीछे कोई बड़ा कारण है।
पार्टी ने पल्ला झाड़ा, सरकार ने चुप्पी साधी
उधर त्रिवेंद्र ने शेर और कुत्ता वाला बयान देकर धामी सरकार के लिए जितनी असहज स्थिती पैदा की उतनी ही परेशानी में पार्टी को भी डाल दिया। अब पार्टी के नेताओं और प्रवक्ताओं को समझ नहीं आ रहा है कि कैसे इस हालत से निकलें। उधर कांग्रेस ने भी त्रिवेंद्र के बहाने अवैध खनन का आरोप लगाना शुरू कर दिया है। हालांकि इस बीच बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने एक लकीर खींचने की कोशिश की और साफ किया कि भले ही त्रिवेंद्र कुछ भी बोले लेकिन पार्टी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ खड़ी है। महेंद्र भट्ट ने बाकायदा एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर ये बताने की कोशिश की राज्य में अवैध खनन नहीं हो रहा है और वहीं राज्य में खनन से मिलने वाला राजस्व तेजी से बढ़ा है। उधर अवैध खनन रुका भी है और जो कर रहा है उसपर जुर्माना दबा कर हो रहा है। शनिवार को जब सीएम धामी ने इस मसले पर पूछा तो उन्होंने इस मसले पर अधिक तो कुछ नहीं कहा लेकिन ये जरूर कहा कि राज्य में अवैध खनन को लेकर जीरो टालरेंस की नीति अपनाई गई है। पार्टी और मुख्यमंत्री दोनों ही इस मसले पर एकराय हैं और त्रिवेंद्र अकेले पड़ते दिख रहे हैं।
अफसरों में भी पसरी नाराजगी
उधर त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस बयान के बाद सूबे की ब्यूरोक्रेसी में भी नाराजगी पनपी है। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जिस तरह के शब्दों का प्रयोग किया है वो अधिकारियों को नागवार गुजरा है। इस संबंध में आईएएस लॉबी खासतौर पर नाराज दिख रही है। उत्तराखंड आईएएस एसोसिएशन ने इस मामले में अपनी नाराजगी लिखित रूप से दर्ज भी करा दी है। एसोसिएशन ने सीएम धामी को एक पत्र लिखकर ये साफ कर दिया है कि अधिकारियों की अपनी मर्यादा है और इसपर चोट स्वीकार नहीं है।